केरल में एमोबिक एन्सेफलाइटिस (Amoebic Encephalitis) और जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis - JE) जैसे दिमागी बुखार के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में, कन्नूर जिले के थाय्यिल निवासी साढ़े 3 साल का एक बच्चा दिमागी बुखार (एमोबिक इन्फेक्शन) से संक्रमित मिला है, जिसे तुरंत कोझिकोड के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति की पुष्टि करते हुए डॉक्टरों ने बताया कि उसे पिछले 3 दिनों से तेज बुखार था और उसे दौरे भी पड़ रहे थे। फिलहाल, बच्चे की हालत स्थिर है, लेकिन उसे अन्य मरीजों से अलग (आइसोलेशन में) रखा गया है। दिमागी बुखार का संक्रमण नाक के जरिए फैलता है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में गंभीर संक्रमण हो सकता है।
दिमागी बुखार: अब तक 104 मरीज और 23 मौतें
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने हाल ही में राज्य में फैले दिमागी बुखार को लेकर जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि यह बीमारी कन्नूर, कोल्लम, तिरुवनंतपुरम, मलप्पुरम और कोझिकोड जैसे जिलों में फैली है।
आंकड़ों के अनुसार, अब तक राज्य में दिमागी बुखार के 104 मरीज रिपोर्ट हो चुके हैं, जिनमें से 23 मरीजों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। वहीं, 81 मरीज अभी भी अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
केरल में इस समय एमोबिक एन्सेफलाइटिस के साथ-साथ जापानी इंसेफेलाइटिस का खतरा भी बना हुआ है। जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है, जबकि एमोबिक एन्सेफलाइटिस एक दुर्लभ लेकिन अत्यधिक घातक संक्रमण है, जो गर्म और ताज़े पानी में पनपने वाले अमीबा (जैसे नेगलेरिया फाउलेरी) के कारण फैलता है।
सरकार ने दिया कुंओं के क्लोरीनीकरण का आदेश
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ये दोनों संक्रमण बच्चों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए बेहद खतरनाक हैं। संक्रमण के खतरे को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और जल प्रदूषण के समाधान के लिए इरिगेशन डिपार्टमेंट को कड़े आदेश जारी किए गए हैं।
सरकार ने तत्काल प्रभाव से क्लोरीनीकरण अभियान शुरू करने और प्रदेश के उन सभी कुंओं का क्लोरीनीकरण सुनिश्चित करने का आदेश दिया है, जिनसे लोग पीने या नहाने के लिए पानी निकालते हैं।
लोगों के लिए सलाह:
दिमागी बुखार के लक्षण और घातक स्वरूप
1. जापानी इंसेफेलाइटिस (JE): यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है, जिससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टियां और भ्रम शामिल हैं। यह संक्रमण दौरे का कारण बन सकता है और मरीज को कोमा में भी भेज सकता है। JE मुख्य रूप से चावल के खेत और सुअरों के संपर्क वाले ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन के दौरान फैल सकता है। यह 15 साल तक के किशोरों को शिकार बना सकता है, हालांकि, केरल में अभी इसके मरीज रिपोर्ट नहीं हुए हैं।
2. एमोबिक एन्सेफलाइटिस: यह दूषित पानी पीने या इस्तेमाल करने से फैलता है। इसके शुरुआती लक्षण सिरदर्द, बुखार, उल्टी और भ्रम होते हैं। संक्रमित मरीज को दौरे भी पड़ सकते हैं। यह संक्रमण 5 दिन के भीतर गंभीर हो जाता है और 97 प्रतिशत तक घातक साबित हो सकता है, जिससे यह अत्यंत जानलेवा बन जाता है।