परशुराम जन्मोत्सव हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह 29 अप्रैल को मनाया जाएगा, क्योंकि तृतीया तिथि 29 अप्रैल की शाम को 5:32 बजे शुरू होगी और 30 अप्रैल को 2:13 बजे समाप्त होगी।
भगवान परशुराम को श्रीहरि विष्णु का छठा अवतार माना जाता है और वे 7 चिरंजीवियों में से एक हैं। उनका नाम परशुराम पड़ा क्योंकि उन्होंने शिवजी से प्राप्त परशु (एक प्रकार का हथियार) धारण किया था। भगवान परशुराम का जन्म विशेष रूप से प्रदोष काल में शुभ होता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है।
पूजा का महत्व
भगवान परशुराम का जन्मोत्सव विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से पूजा करने से जीवन में साहस, बल और विद्या की प्राप्ति होती है। अगर आप पूजा के लिए समय न निकाल पाएं तो कम से कम सूर्यास्त के बाद इन मंत्रों का 108 बार जप करने से आपको भगवान परशुराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
परशुराम जी के मंत्र
भगवान परशुराम को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जप किया जाता है:
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ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।
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ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।
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ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नमः।
इन मंत्रों का जप करने से परशुराम जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि, बल और साहस की वृद्धि होती है। पूजा के समय पर इन मंत्रों का जप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
निष्कर्ष
परशुराम जन्मोत्सव पर पूजा करने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं, और इस दिन विशेष रूप से भगवान परशुराम के मंत्रों का जप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। अगर आप 29 अप्रैल को पूजा नहीं कर पाते, तो सूर्यास्त के बाद इन मंत्रों का जप करके भी आप भगवान परशुराम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।