भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बावजूद भारत पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसी बीच जर्मनी के प्रतिष्ठित अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung (FAZ) ने एक बड़ा दावा किया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
अखबार का दावा है कि हाल के हफ्तों में राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने उनकी कॉल रिसीव तक नहीं की। यह दावा ऐसे समय में आया है जब टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच माहौल तनावपूर्ण है।
ट्रंप के सामने झुके कई देश, लेकिन भारत अब भी अडिग
FAZ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब तक अपने ज्यादातर विरोधी देशों को टैरिफ लगाकर झुकने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन भारत अब तक डटा हुआ है। अखबार के अनुसार, भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जो ट्रंप के आर्थिक दबाव के आगे नहीं झुका है।
भारत की यह स्थिति यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश नीति और आर्थिक रणनीति को लेकर बेहद स्पष्ट हैं। भारत ने टैरिफ के जवाब में डाक पार्सल भेजने पर रोक, बदले की रणनीति, और विकल्पी वैश्विक साझेदारों की तलाश जैसे कदम उठाए हैं।
ट्रंप की कॉल अनसुनी? रिपोर्ट ने खड़ा किया सवाल
FAZ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने तब कॉल करने की कोशिश की थी जब भारत पर 50% टैरिफ लगाया गया था, जो कि ब्राजील के अलावा किसी अन्य देश पर नहीं लगाया गया है। यह भारत के खिलाफ एक कड़ा आर्थिक कदम माना जा रहा है।
बर्लिन स्थित ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सह-संस्थापक थॉर्स्टन बेनर ने भी इस रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए दावा किया है कि पीएम मोदी ने जानबूझकर ट्रंप की कॉल्स रिसीव नहीं कीं, जिससे उनका असंतोष और सतर्कता झलकती है।
विदेश मंत्रालय की सफाई – 17 जून को हुई थी बातचीत
FAZ की रिपोर्ट पर अभी तक भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी और ट्रंप के बीच आखिरी बार 17 जून को करीब 35 मिनट तक फोन पर बातचीत हुई थी। उस दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद, व्यापार, और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की थी।
इसके बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से और भी संपर्क करने की कोशिश की, और उन्हें नजरअंदाज किया गया।
भारत का स्पष्ट रुख – दबाव नहीं, सम्मान चाहिए
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका की टैरिफ नीति को वह अनुचित और पक्षपाती मानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि भारत किसी भी तरह के विदेशी दबाव में नहीं झुकेगा।
भारत की रणनीति अब आत्मनिर्भरता, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा, और रूस, यूएई, जापान जैसे वैकल्पिक बाजारों पर केंद्रित है। इसके अलावा, डिजिटल एक्सपोर्ट, लोकल मैन्युफैक्चरिंग, और ई-कॉमर्स सेक्टर को सरकार तेजी से सशक्त बना रही है।
निष्कर्ष
FAZ की रिपोर्ट ने इस पूरे टैरिफ विवाद में एक नया मोड़ ला दिया है। अगर वाकई में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप की कॉल रिसीव नहीं की, तो यह भारत के आत्मनिर्भर और सशक्त विदेश नीति दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब समानता आधारित रिश्ते चाहता है – न कि एकतरफा दबाव वाली बातचीत।
टैरिफ का यह युद्ध सिर्फ दो देशों के बीच आर्थिक संघर्ष नहीं, बल्कि सामरिक सोच, राजनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक संतुलन की लड़ाई बन चुका है – और भारत इसमें अपने रुख पर मजबूती से खड़ा है।