मुंबई, 23 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व IAS पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। पूजा पर UPSC एग्जाम में धोखाधड़ी और OBC और विकलांगता कोटे का गलत तरीके से फायदा लेने का आरोप है। UPSC की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का केस दर्ज किया था। पूजा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। जस्टिस चंदर धारी सिंह की बेंच ने 27 नवंबर को मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 अगस्त को पूजा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि पूजा पर लगे आरोप गंभीर हैं। पूरी साजिश का खुलासा करने और इसमें अन्य लोगों के शामिल होने की पुष्टि के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है।
UPSC ने झूठी गवाही का केस वापस ले लिया और कहा कि वह अलग से केस दायर करेगी। UPSC ने पूजा पर जस्टिस सिस्टम में हेरफेर की कोशिश करने और गलत हलफनामा देकर झूठी गवाही देने का भी आरोप लगाया है। UPSC ने कहा, पूजा ने झूठा दावा किया कि आयोग ने उनका बायोमेट्रिक डेटा (आंखों और उंगलियों के निशान) इकट्ठा किया। यह कोर्ट को धोखा देकर अपने फेवर में ऑर्डर लेने के लिए किया गया था। आयोग ने उनके निजी परीक्षण के दौरान कोई बायोमेट्रिक डेटा नहीं लिया और न ही इसके आधार पर वैरिफिकेशन की कोशिश की। आयोग ने अब तक किसी भी उम्मीदवार का बायोमेट्रिक डेटा नहीं लिया है। साथ ही, पूजा ने हाईकोर्ट में यह दावा भी किया था कि उन्हें उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का उन्हें कोई आदेश नहीं मिला। जबकि UPSC का कहना है कि उनके रजिस्टर्ड मेल आईडी पर सूचित किया गया था। UPSC ने इस मामले में भी FIR की है। पूजा पुणे में ट्रेनी अफसर की ट्रेनिंग कर रही थीं। इस दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई। उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगवाई। पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने UPSC में सिलेक्शन पाने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया। जांच आगे बढ़ी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
आपको बता दें, विकलांगता सर्टिफिकेट में पूजा खेडकर का एड्रेस ‘प्लॉट नंबर 53, देहू अलंदी रोड, तलावडे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे’ लिखा गया था। जबकि इस एड्रेस पर कोई घर नहीं, थर्मोवर्टा इंजीनियरिंग कंपनी नाम की एक फैक्ट्री है। पूजा की जिस ऑडी को जब्त किया गया था, वह इसी कंपनी के नाम पर रजिस्टर थी। सरकारी नियमों के तहत विकलांगता सर्टिफिकेट बनाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, लेकिन पूजा के सर्टिफिकेट में राशन कार्ड लगाया गया था। विकलांग कोटे से UPSC में सिलेक्शन की जांच होने पर पूजा के कई विकलांगता सर्टिफिकेट सामने आए। पूजा ने 2018 और 2021 में अहमदनगर डिस्ट्रिक्ट सिविल हॉस्पिटल से जारी 2 अलग सर्टिफिकेट UPSC को सौंपे थे। पूजा ने अपनी विकलांगता सर्टिफिकेट की पुष्टि के लिए दिल्ली में मेडिकल जांच के लिए कई बार अपॉइंटमेंट लिया, लेकिन बाद में एक प्राइवेट हॉस्पिटल की रिपोर्ट UPSC में जमा की। यशवंत राव चह्वाण मेमोरियल अस्पताल ने साफ कर दिया कि पूजा का लोकोमीटर सर्टिफिकेट बनाने में कोई गलती नहीं हुई। सर्टिफिकेट में पूजा को 7% लोकोमीटर डिसेबिलिटी बताई गई थी। अस्पताल को पिंपरी चिंचवाड नगर निगम संचालित करता है। पूजा ने UPSC को दिए एक हलफनामे में दावा किया था कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था, जबकि मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था। पूजा पर माता-पिता के मैरिटल स्टेटस की जानकारी छिपाकर OBC नॉन-क्रीमीलेयर कोटे का फायदा उठाने का भी आरोप है। पूजा के पिता दिलीप खेडकर रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। उन्होंने चुनाव भी लड़ा था। चुनावी हलफनामें में उन्होंने अपनी संपत्ति 40 करोड़ रुपए बताई थी, जबकि पूजा ने UPSC को दिए एफिडेविड में परिवार की संपत्ति 8 लाख से कम बताई थी। पूजा का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे माता-पिता के तलाक का दावा कर रही हैं। पूजा का दावा था कि उनके पिता उनके साथ नहीं रहते, इसलिए वे OBC नॉन-क्रीमी लेयर के दायरे में आती हैं।