मुंबई, 08 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कन्नौज से सांसद का चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने अपनी विधानसभा करहल को छोड़ने का निर्णय लिया है। इसकी घोषणा उन्होंने सांसदों से मीटिंग के बाद शनिवार को लखनऊ में की। यानी, अब अखिलेश दिल्ली की राजनीति करेंगे। अखिलेश ने 2022 में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जीत के बाद आजमगढ़ के सांसद पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आजमगढ़ में उपचुनाव हुए, उसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। अखिलेश ने सपा के सभी जीते हुए सांसदों को शनिवार को लखनऊ बुलाया। इसमें अखिलेश समेत 37 सांसद शामिल हुए। मीटिंग में मंथन के बाद उन्होंने विधानसभा सीट छोड़ने का ऐलान किया।
अखिलेश ने कहा, PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की रणनीति की जीत होने से देश में नकारात्मक राजनीति खत्म हो गई। अब समाजवादियों की जिम्मेदारी बढ़ गई। जनता की एक-एक बात सुनें, उनके मुद्दों को उठाएं, क्योंकि जनता के मुद्दों की जीत हुई है। हमारे सांसदों ने चुनाव में लगातार मेहनत की, जनता के बीच रहे। यही वजह रही कि सपा ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। सरकार और प्रशासन पर तंज करते हुए अखिलेश ने कहा- हमारे एक सांसद वह हैं, जिन्हें जीत का सर्टिफिकेट मिला। दूसरे वे हैं, जिन्हें भाजपा की धांधली की वजह से सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया। हम दोनों सांसदों को बधाई देते हैं। उम्मीद का दौर शुरू हो चुका है। जनता के मुद्दों की जीत हुई है।
आपको बता दें, अखिलेश यादव ने 2022 विधानसभा चुनाव लड़ा था। उसमें पार्टी को 11 सीटें मिलीं। 2017 में पार्टी के पास 47 सीटें थीं। अखिलेश का पहले लोकसभा चुनाव लड़ने का प्लान नहीं था। उन्होंने चचेरे भाई तेज प्रताप को टिकट दे दिया था। लेकिन, ऐन वक्त में उन्होंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया और कन्नौज से नामांकन भरा। अखिलेश के लोकसभा चुनाव लड़ने का फायदा भी पार्टी को मिला। 2019 में 5 सीटें जीतने वाली सपा 37 सीटों पर पहुंच गई।साथ ही, सांसद डिंपल यादव ने कहा, मैं सभी समाजवादी पार्टी के सांसदों को बधाई देना चाहूंगी। लोकतंत्र में लोग अगर खुश नहीं होते हैं, तो अपना प्रतिनिधि अपने हिसाब से चुनते हैं। अयोध्या में भी यही हुआ है। वहां बेरोजगारी चरम सीमा पर है, महिला की सुरक्षा का बड़ा सवाल है।